और कितना गिरोगे ?

और कितना गिरोगे ? हां कितना ? रेपिस्ट का मज़हब पूछते हो ? जिस स्कूल से बच्ची अगुआ होती है उसकी विचारधारा में विचरते हो ? एक अफवाह पर भीड़  बनकर निर्दोषों की जान ले लेते हो ? अपनी ही विदेश मंत्री के खिलाफ गालियां लिखते हो? कांग्रेस प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी की बेटी के साथ रेप  करना चाहते हो ? कौन हो तुम लोग और जब संस्था थॉमस रायटर्स फॉउंडेशन भारत को महिलाओं के लिए दुनिया का सबसे खतरनाक मुल्क बताती है तो नाराज़ होकर इसे स्वीकारने से ही इंकार कर देते हो ? हद है भाई मुद्दे को साम्बोधित ही नहीं करना चाहते । कठुआ, उन्नाव,मंदसौर  और कितने सबूत चाहिए हमें कि हम पीड़िता के हक़ में नहीं दुष्कर्मियों के मज़हब में दिलचस्पी रखते हैं। इक्कीसवीं सदी में इतना छोटा , निम्न और तुच्छ कौन बना देता  है हमें ?

अफसोसनाक तो यह है कि हमारी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के लिए भी अब बेहूदी भाषा का इस्तेमाल किया जा रहा है और हमारे कथित नेता बोलने में ही झिझक रहे हैं। अभद्र भाषा किसी के भी ख़िलाफ़ हो आप चुप्पी साधकर काम निकालने  वालों  में हैं तो आप भी दोषी हैं । आप जिस संस्कृति का यशोगान करते हैं उसमें तो दूर -दूर तक अभद्रता को कोई समर्थन नहीं है। उन्हें वीज़ा माता कहकर मदर टेरेसा की तरह प्रस्तुत करना और उनकी किडनी के इस्लामिक होने का हवाला देना उनमें आस्था रखनेवालों का भी अपमान है। जो लोग कह रहे हैं कि इन्हीं लोगों की बोई सोच और बनाई टीम का नतीजा है वे भी सही नहीं कर रहे है ,वे ट्रोलर्स को बढ़ावा दे रहे हैं भस्मासुर को हवा  दे रहे हैं। भस्मासुर वो आग है जो अपने जन्मदाता को ही निगल लेती है।

जहाँ तक समझ आता है सुषमा जी ने शालीन तरीके से अपनी तकलीफ कहने की कोशिश की है।एक चहचहाने  वाले को ज़रूर उन्होंने ब्लॉक किया जिसकी आलोचना भी हो रही है।  हो सकता है कि कुछ लोग पासपोर्ट अधिकारी के तबादले से नाराज़ हो लेकिन सर्वधर्म समभाव वाले देश में दो अलग मज़हब में शादी करनेवालों का पासपोर्ट नया करते  हुए यह कहना कि आप  अपने पति का धर्म या अपना नाम क्यों नहीं बदल लेती ख़राब टिपण्णी थीं । लखनऊ  में इस जोड़े को खामखां की सीख की कोई ज़रुरत नहीं थी। वायरल होती यह तस्वीर भारत की ग़लत छवि दुनिया में पेश करती। मंत्री जो ट्विटर पर यूं भी बेहद सक्रिय  हैं उन्हें एक्शन तो लेना ही था। फिर भी उनके फैसलों पर एतराज़ है तो भी मंत्री के पति को सम्बोधित  कर आप यह नहीं लिख सकते कि आप उनकी पिटाई कीजियेगा। सुषमा जी को यह सब नहीं  सहना चाहिए। दिन-ब-दिन गिर रही दलगत राजनीती से   ऊपर उठकर यह सन्देश देना चाहिए कि  यह  कतई सहा नहीं जायेगा। ऐसा कर के वे कई महिलाओं की बुलंद आवाज़ बन सकती हैं जो सोशल मीडिया पर ट्रोल की जाती हैं।

कांग्रेस प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने बहुत अच्छा किया जो पुलिस में शिकायत दर्ज़ कराई है। नेताओं के  भरोसे आप अपनी लड़ाई नहीं लड़ सकते।  उनके बयानों का  इंतज़ार भी वक़्त जाया करना है। दुःख इस बात का है कि कल एक टीवी चैनल पर बहस में भाजपा प्रवक्ता शायना एन सी ,एक पत्रकार नूपुर और  कांग्रेस प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी शामिल थीं लेकिन ये भी आरोप-प्रत्यारोप में ही उलझी रहीं कि आपने उस वक़्त क्यों नहीं ध्यान दिया जब हम आपके पास ट्रोलर्स की  समस्या लेकर आये थे। बेहतर होता कि ये तीनों एक होकर यह सन्देश देती कि यह भाषा हमें आहत करती है। हमारे काम करने के माद्दे को तोड़ती है।  हम इसे किसी हाल बर्दाश्त नहीं करेंगे। अफ़सोस ऐसा नहीं नहीं हुआ और होता यही है कि स्त्री का आत्मसम्मान हमेश ताक पर ही होता है और ट्रोलर्स के पास ऐसा करने का यह नया  और ताज़ा हथियार  है। इसका सबको प्रतिकार करना चाहिए। और जो आज खुश हो रहें हैं कि यह इनकी ग़लती की सज़ा है तो इस ग़लतफ़हमी में ना रहें क्योंकि गलतियां तो किसी से भी हो सकती हैं ,यह आग उन्हें भी निगलेगी। 
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तस्वीर इस लिंक से साभार है

https://www.thewire.in/gender/sushma-swaraj-right-wing-twitter-trolling

टिप्पणियाँ

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 5.7.2018 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3022 में दिया जाएगा

    धन्यवाद

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  2. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, स्वामी विवेकानंद जी की ११६ वीं पुण्यतिथि “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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