दूध पिलाती मॉडल की तस्वीर अश्लील नहीं गैर ज़रूरी है



यह तस्वीर  अश्लील भले ही नहीं है लेकिन ग़ैर ज़रूरी है और जो इरादा वाकई  सार्वजनिक स्थलों पर स्तनपान कराने की झिझक को मिटाने का है  तो माँ-बच्चे की असली तस्वीर होनी  चाहिए थी। यह  बच्चे के साथ फ़रेब है। 



यह तस्वीरअश्लील भले ही नहीं है लेकिन ग़ैर ज़रूरी है क्योंकि इसमें माँ नहीं एक मॉडल (गिलू जोसेफ़) शिशु  को दूध पिला रही है। यह उस मासूम के साथ धोखा है जो गोद  में है।  गोद असली है लेकिन माँ नकली है। इस माँ ने इसे भ्रम दिया है कि वह इसे दूध पिलाएगी। यह बच्चे के साथ नाइंसाफ़ी है। आप ख़ूबसूरत हैं ,तस्वीर ख़ूबसूरत है आपका इरादा भी नेक हो सकता है लेकिन बच्चे के साथ यह व्यवहार बदसूरत है। बर्दाश्त करने के काबिल नहीं है। 

फिल्म ताम तेरी गंगा मैली के नायिका मन्दाकिनी और उसके निर्देशक राज कपूर का भी यही अपराध था। उस बच्चे के बारे में कोई सचेत नहीं जो गोद में दिया गया है ,वह मॉडल नहीं है। क्या होता जो मलयाली पत्रिका गृहलक्ष्मी की माँ और संतान असली होते या फिर माँ धाय माँ ही होती। इनका अभियान वास्तव में सार्वजनिक स्थलों पर स्तनपान कराने में झिझकती माँ और उसे देखती निगाहों को सहज बनाना है तो जैविक माँ और बच्चे  का चयन ही बेहतर था लेकिन हम तो बच्चों के अधिकार विरोधी समाज से आते हैं। दूधमुँहे बच्चे पर भी अपनी मनमानी और क्रूरता  करने से बाज़ नहीं आते। मेरे भी दो बच्चे हैं लेकिन मैं इस काम के लिए कभी उन्हें किसी मॉडल के हाथ नहीं दूँगी। जहाँ तक पब्लिक प्लेसेस पर दूध पिलाने की बात है इसमें सहज रहिये। इस रिश्ते को देख सद्धभावना ही जागती है देखनेवाले की निगाह में। 

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