ये नए किस्म के पत्थरबाज़

ये नए किस्म के पत्थरबाज़ हैं जो इंसानियत को पत्थर मार रहे हैं. रेश रावल, अभिजीत या फिर चेलापति कैसे भूल जाते हैं कि ये स्त्रियों से बात कर रहे हैं।  अपने आक्रामक ट्वीट और खासकर महिलाओं के खिलाफ भद्दी टिप्पिणयां करने के बाद ट्विटर ने गायक अभिजीत भट्टाचार्य के अकाउंट को सस्पेंड कर दिया है।अभिजीत ने अरुंधति को गोली से उड़ा देने की और जेएनयू छात्रसंघ की नेता शहला राशिद पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। उन्होंने लिखा था कि ऐसी अफवाह थी कि शेहला रशीद ने ग्राहक से २ घंटे के पैसे लिए और उसे संतुष्ट न कर सकी। तेलगु कलाकार चेलापति बोले की स्त्रियां बस बिस्तर पर ही ठीक हैं 

वे पिछले चार बरसों से एक बेहतरीन जोड़ा ही नजर आते थे। लव बर्ड्स  का जोड़ा। अब भी कुछ नहीं बदला है ना ही कुछ बिगड़ा है। दोनों के ही जीवन में यही कोई दो-तीन बरसों में समय कुछ बदल-सा गया है। दोनों में से एक को लगता है कि शायद वह तो था ही तंग सोच का पैराकार। ये तो बापू और नेहरू ने इरादतन हमें बड़ी सोच और बड़े सपने देखने की आदत डालनी चाही थी। हमने भी रंग तो बदन पर मल लिया लेकिन भीतर कुछ नहीं बदल सके। किसी ने पानी की बौछारें क्या छोड़ी हम तो पूरे धुल गए। जैसे बस  इस रंगीन केंचुली से मुक्त होने के लिए मौके के इंतजार में थे। यह केंचुली किसी जोड़े के साथी ने भी पहन रखी थी जो उतर गई। दूसरा साथी हक्का-बक्का है कि आखिर सच क्या है जो इतने साल देखा वह या जो अब है वह?
ऐसी कई केंचुलियां अब पीछे छूट रही हैं और लोग अनावृत्त हो रहे हैं। समझ नहीं आता कि क्या सच है क्या झूठ? कभी सोनू निगम तो कभी परेश रावल के जो बयान आते हैं बताते  हैं कि इतनी मधुर आवाज और इतने बेहतरीन अभिनेता के पास बोलने के लिए ऐसी बातें ही क्यों हैं? सोनू निगम ने अजान से चलकर मंदिर, गुरु द्वारे सबको दायरे में बांध दिया और अब परेश रावल ने लेखिका अरुंधति राय को लेकर एक बयान दिया है। परेश रावल ने एक ट्वीट किया, जो कश्मीर में आर्मी जीप से एक युवक को बांधकर घुमाने वाले मामले से जुड़ा है। उन्होंने अपने इस ट्वीट में लिखा है कि पत्थरबाज को जीप से बांधने से बेहतर है कि अरुंधति राय को बांधो। हालांकि ज्यादातर ने इस ट्वीट को हैरान करने वाला और हिंसक बताया है लेकिन इसे रीट्वीट भी खूब किया गया। आपको बता दें अरुंधति अक्सर कश्मीरियों और कश्मीर पर  बोलती हैं। हाल ही उन्होंने कहा था कि भारत कश्मीर में अगर 7 से 70 लाख सैनिक भी तैनात कर दे, तब भी कश्मीर में अपना लक्ष्य नहीं पा सकता। 
हरेक क्रिया की प्रतिक्रिया होती है। अरुंधति राय के बयान की भी होनी थी लेकिन क्या यह वाकई प्रतिक्रिया थी? पत्थरबाज को जीप से बांधने से बेहतर है कि अरुंधति राय को बांधो।  क्या यह हिंसक टिप्पणी नहीं है? या फिर 7 से 70 लाख सैनिक तैनात कर दें, तब भी भारत कश्मीर में अपना लक्ष्य नहीं पा सकता यह हिंसक है? हम में से कई को दूसरी टिप्पणी भी घातक लग सकती है क्योंकि यहां देश का नाम शामिल है। हाल ही में कश्मीरी युवक फारूक अहमद डार को आर्मी की जीप के बोनट से बांध कर घुमाया गया था। इस वीडियो के वायरल होने के बाद आर्मी ने जांच के आदेश दिए। बाद में फारूक  को जीप से बांधने वाले आर्मी के अधिकारी को क्लीन चिट दी गई। इसी संदर्भ में परेश रावल ने लिखा था कि यहां पत्थरबाज को जीप से बांधने से बेहतर है कि अरुंधति राय को बांधो।  जबकि उमर अब्दुल्लाह का ट्वीट कहता है कि  एक युवक को सेना की जीप से इसलिए बांधा गया ताकि पत्थरबाज जीप पर हमला ना कर सकें। परेश रावल पर लौटते हैं एक बेहतरीन अभिनेता और गुजरात से ही भाजपा के सांसद भी। समझना मुश्किल है कि इस दौर में हरेक को अपनी निष्ठाएं नए सिरे से क्यों परिभाषित करनी पड़ रही हैं। 
अरुंधति राय एक लेखिका हैं जिन्हें 1997 में गॉड ऑव स्मॉल थिंग्स के लिए मेन बुकर प्राइज मिल चुका है जो बाद में मामूली चीजों का देवता के नाम से हिंदी में भी प्रकाशित हुआ।जवाब में अरुंधति की शालीन टिप्पणी आई कि अगर मैं किसी विषय पर अपनी राय रख रही हूं और फिर उस पर लोगों की अपनी राय है। आप हर एक से यह उम्मीद नहीं रख सकते हैं कि वो खड़े होकर आपके लिए ताली बजाएंगे।  कोई बात नहीं जो हम अपने लेखक का सम्मान नहीं करते लेकिन कम अज कम अपने तर्क से तो उन्हें खारिज कर सकते है। हिंसा का विरोध ही तो दोनों तरफ का मकसद है। अगर जो परेश रावल को अपनी बात में दम नज़र आता तो यूं अपनी टिप्पणी को खुद ख़ारिज न करते। 
फिर भी लगता है कि  आस्था जाहिर करने की नई आंधी चली है जब पति-पत्नी ही एक दूसरे को नए सिरे से जान अचंभित है तो फिर हम-तुम कौन? इस आंधी को गहरे और बड़े पेड़ ही थाम सकते हैं। कहां है वे?

टिप्पणियाँ

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 25-05-2017 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2636 में दिया जाएगा
    धन्यवाद

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  2. आप बिल्कुल सही हैं वर्षा जी किसी को भी महिलाओं के खिलाफ कुछ भी बोलने की आज़ादी नहीं होनी चाहिए, वैसे भी सभी तथाकथित देशभक्त भूल जाते हैं कि हमारे देश में अभिव्यक्ति की आज़ादी सिर्फ देशद्रोहियों को है।

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  3. sam samyik rajnitik ghatnaon par bahut badhiya kataksh hai apke vichaar padkar achha laga

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