मैं सोना को जानती हूं



आज बात एक प्यारी सी लड़की की। नाम है सोना। वाकई सोने जैसी ही दमकती है वह। लेकिन भीतर एक तूफान है। अठारह की उम्र में पहाड़ सा तूफान। बमुश्किल आठवीं पास होगी निम्नवर्गीय परिवार की यह लड़की। पिता नहीं है मां के साथ चारों भाई-बहन रहते हैं। सभी छोटे-मोटे काम करते हैं। गुजारे के लिए। सोना से भी मां की यही अपेक्षा है। वह उसे कैटरिंग के काम के लिए भेजती है। कोई बिचौलिया आता है लड़कियों को साथ ले जाता है। वे समारोहों में खाने की मेज पर खड़ी हो जाती हैं। मेजबान की शान बढ़ती है कि हमने भोजन परोसने के लिए लड़कियों को रखा है। कभी पूरी शाम तो-कभी रात के एक बजे तक वे सब यूं ही हंसती-मुस्कराती खड़ी रहती हैं। इस काम के जयपुर में डेढ़ सौ और जयपुर से बाहर यानी कोटा, सीकर, अलवर तक जाने के ढाई सौ रुपए मिलते हैं। ब्याह समारोह का मौसम नहीं होता तो सोना और ये लड़कियां किसी फिल्म या शूटिंग में ले जाई जाती हैं। कभी फूल बरसाती हैं तो कभी नाचती हैं बतौर एक्स्ट्रा। सोना को शादी कैटरिंग से यहां फिर भी थोड़ा ठीक लगता है। एक बार शादी में किसी लड़के ने उससे पूछ लिया था एक रात का कितना लोगी...? उसका जी किया कि उस आदमी के मुंह पर एक जोरदार तमाचा जड़ दे लेकिन साथ वाली लड़की ने रोक दिया। और वह पूरी तरह जड़ हो गई।
सोना को यह काम बिलकुल भी अच्छा नहीं लगता। उसने मां से कई बार कहा भी लेकिन मां का कहना है कि तेरी शादी में पैसा लगेगा कहां से लाऊंगी। कहने को दो भाई हैं लेकिन वे भी कुछ खास कमा नहीं पाते न ही उनके मन में ऐसा कोई भाव है कि बहनें उनकी ज़िम्मेदारी हैं। बड़ी बहन की शादी मां ने की थी लेकिन उसका ससुराल उससे घृणित अपेक्षाएं रखता था वो सब छोड़कर मां के पास आ गई। सोना की मां सोना को आलसी और मुंहजोर मानती हैं क्योंकि वह उनसे कह चुकी है कि आप मेरे पीछे क्यों पड़ी रहती हैं। भाई को क्यों नहीं काम पर भेजती। अब तो भाई भी सोना से चिढ़ता है। वह उसे अपशब्द भी कहता है और मां से भी लड़ता है। सोना दिन रात यही प्रार्थना करती है कि या तो उसे मौत आ जाए या फिर एक अच्छा लड़का उसे ब्याहकर ले जाए। सोना पूछती है- मैं जब रात को देर से लौटूंगी तो कौन लड़का मुझसे ब्याह करेगा। मां को यह बात क्यों नहीं समझ आती? मुझसे कई लड़के बात करने की कोशिश में रहते हैं पर मुझे यह सब पसंद नहीं । मां ने एक लड़का पसंद भी किया था, मुझे भी ठीक लगा था लेकिन फिर जन्मपत्री नहीं मिली। मां कहती हैं लड़के तो बहुत हैं पर पैसा मांगते हैं इसलिए सोना से कहती हूं मेहनत करने को। कोई काम बुरा नहीं होता। सोना दुखी रहने लगी सुर्ख चेहरा पीला पड़ने लगा है। क्या इतनी मुश्किल है हमारे यहां लड़कियों की शादी? माफ कीजिएगा गरीब लड़की की शादी। सोना को इंतजार है कोई तो आएगा उसका हाथ मांगने। लड़की की शादी को सर्वोपरि मानने वाले हमारे समाज में ही लड़की की शादी इतनी मुश्किल क्यों?

टिप्पणियाँ

  1. varshaa jee,
    sasneh abhivaadan, aaj pehlee hee baar padhaa hai aapko, sona ke maadhyam se kai ladkiyon kee sachchaai saamne rakh dee aapne, dukh yahee to hai ki ye us desh mein ho raha hai jahan mata kaa darjaa bhagwaan se upar diya jaataa tha, bahut prabhaavee lekhan , likhtee rahein.

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  2. isiliye kisi ko khna pada

    ab jo kiye ho data abki na keeje
    agle jnm mohe bitiya n keeje

    drd is trh se bhi baant skten hein .smvedna jgane wali post ke liye badhai

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  3. isiliye kisi ko khna pada

    ab jo kiye ho data abki na keeje
    agle jnm mohe bitiya n keeje

    drd is trh se bhi baant skten hein .smvedna jgane wali post ke liye badhai

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  4. सुन्दर फीचर लिखा है, बिना सवाल किये कई सवाल पूछ डाले हैं आपने.

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  5. मैं जब रात को देर से लौटूंगी तो कौन लड़का मुझसे ब्याह करेगा। मां को यह बात क्यों नहीं समझ आती?


    यही तो प्‍वाइंट है। रात को जितनी देर से आएगी दहेज की मांग उतनी ही बढ़ती जाएगी। एक दिन शादी की उम्र खत्‍म होने लगेगी तब सोना को ऐसा आदमी मिलेगा जो सोना के देर रात आने और कम पैसे मिलने को इग्‍नोर कर पाएगा। यानि लाचार की शादी लाचार से होगी। तब तक वह मां और निठल्‍ले भाइयों को तो खिला ही सकती है।

    जब यह देखने वाला समाज ही विघटन का शिकार हो चुका है तो किससे आशा की जा सकती है। हर काम पुलिस या सरकार तो नहीं कर सकती। कुछ शर्म सामाजिक तिरस्‍कार और बड़े बूढ़ों की भी होती है। बड़े शहरों में यह बंधन कब का खत्‍म हो चुका है। छोटे शहरों में भी यही हालात बनने लगे हैं।

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  6. ldki ki shadi mushkil to hai hi
    kintu jab vo paisa kamane lgti hai hai to kbhi kbhi ma bap bhi uski shadi nhi hone dete aur yh ak ktu saty hai.
    shobhana

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  7. Baat Niklegi To Door Talak Jayegi...Bahut si Baate Door Tak Pahunchani Hai...

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  8. वर्षाजी,सबसे पहले तों गंबीर लेखन की बधाई स्वीकार करें!सोना आज हर नगर में है,हमें अपना नजरिया बदलना होगा !एक लड़की को कई रूप में देखने की बजाय हम उसे उसके वास्तविक रूप में क्यों नहीं स्वीकार कर पातें ,यह एक गंभीर प्रश्न है!

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  9. acha prashan kiya hai..lekin samaj ka yahi roop hai ..gareeb bechara majboor hai har tarah se

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