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इसे 'मोदी का युद्ध' क्यों कह रहे नवारो जी

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भारत पर अमेरिका के भीषण टैरिफ लदान से भारतीय उद्योगों को मिली  चोट के बाद अगर हमारे देश के  उद्योगपतियों का भरोसा सरकार पर कम हुआ है तो आलोचना अमेरिका की भी उसके देश में जम कर हो रही है। वहां के अर्थशास्त्री ,प्रोफ़ेसर और नागरिक लगातार कह रहे हैं कि भारतीय सामान पर इतना टैक्स लाद कर अमेरिकी सरकार ने अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारी है। वे साफ़ कहते हैं कि दशकों से द्विपक्षीय  व्यापार और रणनीतिक साझेदार रहे भारत पर सबसे ज़्यादा 50 (ब्राज़ील के साथ ) टैरिफ थोप कर दुनिया में यूं अकेला कर देने से वह रूस और चीन की तरफ़ मुड़ने के लिए मजबूर हो गया है। आलोचक राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस निर्णय को बेहद अदूरदर्शी और सनक से भरा हुआ मान रहे हैं। वे मानते हैं कि अमेरिका में चीज़ें इससे और महंगी होंगी और एक दिन इसी मांग की वजह से उनका द्विपक्षीय व्यापार फिर सामान्य होगा क्योंकि व्यापार का मूल धर्म लेन-देन का होता है, खैरात का नहीं। इस बीच वाइट हाउस के आर्थिक सलाहकार और इस टैरिफ नीति के रचयिता पीटर नवारो ने ट्रंप सरकार के बचाव में रूस-यूक्रेन युद्ध को 'मोदी का युद्ध' कहकर बड़ा ही विचि...

ऑपरेशन सिंदूर : पक्ष और विपक्ष के बीच बुलंद हुई निर्दलीय आवाज़

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  ऑपरेशन सिंदूर पर लोकसभा में चली सोलह घंटे की बहस जब मंगलवार को पूरी हुई तो साफ़ हो गया कि देश के पास ऐसे धुरंदर नेता हैं जो सरकार की आंख में आंख डाल कर बात करते हैं और सटीक सवाल करते हैं। उधर  सरकार भी भले ही भाग नहीं रही थी लेकिन जवाब देने में उसे भी बड़ी तैयारी और मेहनत और लग रही थी। देश के हर हिस्से से शामिल सांसदों की यह ज़रूरी और अच्छी बहस थी।  फिर भी विपक्ष को शायद इस बात का मलाल हो सकता है कि कुछ जवाब उसे नहीं मिले जैसे पहलगाम में पर्यटकों की सुरक्षा में चूक क्यों हुई ;ख़ुफ़िया तंत्र विफल क्यों रहा ;अमेरिका ने बीच ऑपरेशन में भांजी क्यों मारी ; हमारे कितने लड़ाकू विमान नष्ट हुए और चीन-पाकिस्तान एक मंच पर साथ आने की समझ सरकार को क्यों नहीं हुई। बेशक सरकार ने अपना पक्ष रखने की पुरज़ोर कोशिश की लेकिन बीच -बीच में जब भी देश के पहले प्रधानमंत्री नेहरू का ज़िक्र आ जाता था तो लगता कि सरकार जैसे अब तक किसी नेहरूफोबिया से ग्रस्त है और हर मौके पर उन्हें  किसी ढाल की तरह ले ही आती है। बेशक बंटवारा हमारी दुखती रग है लेकिन हम कब तक उस घाव को हरा रखेंगे, सिर्फ ...