कोई क्यों बहाए एशियाड के लिए पसीना

पिंकी प्रमाणिक याद हैं आपको? पश्चिम बंगाल की एथलीट पिंकी जिसने 2006 के दोहा एशियाड में 4 गुणा 100 रिले टीम में भारत को स्वर्ण पदक दिलाया था। अफसोस कि ये पिंकी अब इस नाते से अपनी पहचान नहीं रखती। वे उस आरोप से पहचानी जाती हैं जिसे उनकी साथी अनामिका आचार्य ने लगाया था। अनामिका ने कहा था कि पिंकी स्त्री नहीं पुरुष हैं और उन्होंने उसके साथ दुष्कर्म किया। जून 2012 में लगे आरोप के बाद पिंकी गिरफ्तार हो गईं। उन्हें लिंग परीक्षण के लिए एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल ले जाया जाता रहा। मर्द पुलिस कभी उनके कंधों पर हाथ धरती तो कभी उन्हें तंज के साथ छेड़ती। और तो और मेडिकल मुआयनों के दौरान उनका एमएमएस भी पुलिस ने लीक कर दिया। एक स्त्री के लिए यह बहुत ही भयावह अनुभव रहा होगा। बहरहाल  एक बहुत अच्छी खबर यह है कि बीते सप्ताह कोलकाता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सुब्रत तालुकदार ने पिंकी को यह कहते हुए बाइज्जत बरी कर दिया है कि वे स्त्री हैं और दुष्कर्म के इलजाम का कोई आधार नहीं है।
       पिंकी को न्याय पाने में पूरे दो बरस लगे इस बीच यह एशियाई पदक विजेता एथलीट कई त्रासदियों से गुजरीं। जेल में उसे मर्दों की सेल में रखने की कोशिश हुई। जुलाई 2012 में लिखी इसी खुशबू की पाती में पिंकी के लिए बेहद अफसोस व्यक्त किया गया था। पाती में लिखा था कि जल्दी ही पुलिस और अस्पताल मिलकर परिणाम दे देंगे लेकिन यह इतना आसान नहीं था। एक लाइन की पुख्ता खबर किसी को नहीं हुई कि पिंकी का जेंडर क्या है। दो मिनट ठहरकर विचार कीजिए कि जिसने पूरी जिंदगी खुद को स्त्री माना हो और वैसी ही पहचान रखी हो उसे यकायक आप कैसे बदल सकते हैं। वह कैसे प्रस्तुत हो सकती है इस बदले हुए व्यवहार को झेलने के लिए। अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन के जर्नल में हाल ही प्रकाशित शोध में एक बात स्पष्ट है कि किसी का लिंग निर्धारित करना आसान नहीं है। यह मुश्किल है, महंगा है और कई बार सही भी नहीं होता है। हार्मोन और शरीर के अंगों का विकास स्त्री-पुरुष में बहुत ज्यादा अंतर नहीं रखता। दोनों के शरीर में यह मामूली अंतर पर भी हो सकता है यानी एक स्त्री में कई बार मेल हार्मोन ज्यादा हो सकते हैं और कई बार एक पुरुष में फीमेल हार्मोन।
        सवाल यह उठता है कि अब क्या उस महिला पर कार्रवाई होगी जिसने पिंकी पर ये इलजाम लगाए। अनामिका पिंकी की पड़ोसन थी जो अपने पति से अनबन के बाद एक बच्चे को लेकर पिंकी के घर रहने आ गई थी। कुछ दिन सब ठीक चला फिर पिंकी के उसे घर छोड़कर जाने के लिए  कहते ही बात बिगड़ गई। अनामिका ने इलजाम लगाया कि पिंकी पुरुष हैं जिसने उनके साथ दुष्कर्म किया और एशियाड में जीता स्वर्ण पदक भी झूठा है। क्या इस झूठे इलजाम के बाद अनामिका पर कार्रवाई होगी? क्या दुष्कर्म का इलजाम एक गैर-जमानती और गंभीर सजा वाला आरोप है इसलिए यह एक हथियार की तरह इस्तेमाल होता है, खासकर तब जब रिश्ते में अनबन हो गई हो। बेशक, यह सब गहरी तफ्तीश से जुडे़ मसले हैं, जिनमें कई बार काफी वक्त लग जाता है। इस दौरान यह खयाल जरूर आना चाहिए कि बंदा निर्दोष तो बाद में सिद्ध होता है लेकिन उसके दोषी होने की झूठी कहानियां पहले ही स्थापित हो जाती हैं। पिंकी की बहादुरी को सलाम है कि उन्होंने भारतीय कानून में आस्था रखते हुए अपना पक्ष रखा। पिंकी कहती हैं मुझे पूरा भरोसा था कि सच की जीत होगी। बेशक,  पिंकी जीत गई लेकिन भीतर कुछ हारा हुआ-सा, कुछ दरका हुआ-सा महसूस होता है कि हम अपने विजेताओं के साथ कैसा सुलूक करते हैं? 
        आज जिस एशियाड में पदक के लिए सानिया मिर्जा अपनी रैंकिंग से समझौता करने के लिए तैयार हैं उसकी हमने क्या कद्र की? उन्होंने वल्र्ड रैकिंग के अपने नौ सो अंक कुरबान कर एशियाड को तवज्जो दी ताकि देश के खाते में मेडल जोड़ सकें। उसी एशियाड में स्वर्ण पदक विजेता पिंकी प्रमाणिक को हमने किस कदर अपमानित और शर्मिंदा किया। बावजूद ये खिलाड़ी केवल और केवल तिरंगे के लिए अपना खून-पसीना एक करते हैं। एक ही लक्ष्य होता है इनका देश के लिए पदक जीतना। क्या ऐसा नहीं हो सकता कि इन्हें अपमानित करने से पहले जांच पक्की और पूरी हो।



टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

वंदे मातरम्-यानी मां, तुझे सलाम

मेरी प्यारी नानी और उनका गांव गणदेवी

मिसेज़ ही क्यों रसोई की रानी Mr. क्यों नहीं?