फरेब


बड़े बवंडर थाम लेती हैं ये पलकें
याद का तिनका तूफ़ान ला देता है
 

पथरीले रास्तों में संभल जाती है वो
 नन्हा-सा एक  फूल घायल कर देता है 
 
सेहरा की धूप नहीं जला पाती उसे
बादल का एक टुकड़ा सुखा देता है
 

कभी तो आओ मेरे सुकून ए जां
क्यों  सब गैर ज़रूरी  दिखाई देता है 
 
आज हर तरफ परचम और रोशनी है
लोगों को इसमें भी फरेब दिखाई देता है

टिप्पणियाँ

  1. मन में अँधेरा हो तो बाहर कितना भी उजाला हो !

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  2. "क्या क्या लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना"

    सार्थक एवं मार्मिक प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  3. लोग छले हुए हैं न -विचारपूर्ण रचना !

    जवाब देंहटाएं
  4. दमण तट पर दौड़ लगाते समर और कबीर के चित्र से याद आया दमण का खारा,उथला समुद्र और बौम जीसस गिरजा.

    आपके इस ब्लॉग के ज़रिये दमण को सलाम भेजता हूँ.

    जवाब देंहटाएं
  5. बड़े बवंडर थाम लेती हैं ये पलकें
    याद का तिनका तूफ़ान ला देता है

    Bahut Khoob...

    जवाब देंहटाएं
  6. praveenji kavita vaanij rakeshji arvindji sanjayji aur firdous aapka shukriya aur aabhar

    जवाब देंहटाएं
  7. क्या बात है , आपकी कविताओ ने तो मन मोह लिया है .. शब्द जैसे एक कथा कह दे रहे हो ... आपको बधाई !!
    आभार
    विजय
    -----------
    कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html

    जवाब देंहटाएं

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