प्रेमपत्र
कुछ दिनों से एक किताब साथ है। असद जैदी और विष्णु नागर संपादित यह ऐसा समय है के पहले संस्करण [१९९४] में यूं तो कई बेहतरीन कविताएं हैं और कुछ रेंखाकनों और टिप्पणियों से कई नई कविताएं भी उग आई हैं। फिलहाल बद्रीनारायण की एक कविता
प्रेत आएगा
किताब से निकाल ले जाएगा प्रेमपत्र
गिद्ध उसे पहाड़ पर नोच खाएगा
चोर आएगा तो प्रेमपत्र चुराएगा
जुआरी प्रेमपत्र पर दाव लगाएगा
ऋषि आएंगे तो दान में मांगेंगे प्रेमपत्र
बारिश आएगी तो
प्रेमपत्र ही गलाएगी
आग आएगी तो जलाएगी प्रेमपत्र
बंदिशें प्रेमपत्र पर ही लगाई जाएंगी
सांप आएगा तो डसेगा प्रेमपत्र
झींगुर आएंगे तो चाटेंगे प्रेमपत्र
कीड़े प्रेमपत्र ही काटेंगे
प्रलय के दिनों में
सप्तर्षि, मछली और मनु
सब वेद बचाएंगे
कोई नहीं बचाएगा प्रेमपत्र
कोई रोम बचाएगा
कोई मदीना
कोई चांदी बचाएगा, कोई सोना
मैं निपट अकेला
कैसे बचाऊंगा
तुम्हारा प्रेमपत्र
अहा, बेहतरीन।
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा वर्णन किया है "प्रेम पत्र" कविता में !
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत !
जवाब देंहटाएंvaah ..thx
जवाब देंहटाएंकोई रोम बचाएगा
जवाब देंहटाएंकोई मदीना
कोई चांदी बचाएगा, कोई सोना
मैं निपट अकेला
कैसे बचाऊंगा
तुम्हारा प्रेमपत्र
Badrinarayan ki pratinidhi kavita hai ye
आह...बहुत ही सुन्दर....
जवाब देंहटाएंनायाब चीज पढवाने के लिए आपका बहुत बहुत आभार.
sunder.
जवाब देंहटाएंप्रेमपत्र फिर भी बचा रहेगा ..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन
आह ! बहुत सुंदर !
जवाब देंहटाएंवर्षा जी
सादर अभिवादन !
बद्रीनारायण की कविता प्रेमपत्र पढ़वाने के लिए आभार !
मैं निपट अकेला …
कैसे बचाऊंगा
तुम्हारा प्रेमपत्र ?!
आपके ब्लॉग पर अच्छी स्तरीय पठनीय सामग्री है हर पोस्ट के लिए हार्दिक बधाई !
शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार
aap sabka shukriya dosto.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया !!
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