यह बयान चुनावी सियासत का सबसे घृणित बयान है ?

" जनरल बिपिन रावत हमारा उत्तराखंड का गौरव था ,उनका नेतृत्व में भारत ने पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक किया। राहुल गांधी क्या बोला प्रूफ देओ प्रमाण देओ। रे भाई आप कौनसे पिता का बेटा हो कभी हमने प्रूफ मांगा है क्या। "

ये वह बयान है जो असम के मुख्यमंत्री हिमंता  बिस्वा  सरमा  ने उत्तराखंड की एक रैली में दिया। कुछ समय के लिए ये भूल जाएं कि हिमंता किस दल के हैं और फिर विचार करें कि यह बयान किस कदर स्त्री विरोधी ,समाज विरोधी और भारतीय संस्कृति विरोधी है। मुख्यमंत्री का यह बयान उत्तेजना में निकल आए शब्द भर नहीं है बल्कि उत्तराखंड के जनरल रावत के नाम पर पहले भावनात्मक माहौल बनाने  और फिर अपने विरोधी राहुल को गाली देने से जड़े हैं  ताकि जनता अपने लाड़ले सपूत के अपमान पर राहुल गांधी के विरोध में आ जाए और यह विरोध फिर वोट में तब्दील हो जाए। बेशक चुनाव के माहौल में पक्ष विपक्ष एक दूसरे पर टीका टिप्पणी करते हैं लेकिन किसी  मां का यूं अपमान दलों की हताशा और स्टार प्रचारकों की  मानसिकता का ही सबूत देता है। 

स्त्री को अपमानित करने के प्रयास भारतीय राजनीति में नए नहीं हैं। एक और पूर्व मुख्यमंत्री ने सुनंदा पुष्कर को हिमाचल की चुनावी रैली में पचास  करोड़ की गर्ल फ्रेंड कहा था। हम यह जानते ही  हैं और यह भी कि  मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने मंदसौर की सांसद मीनाक्षी नटराजन को सौ टंच माल कहा था। उन्होंने भले ही सफाई दी हो कि उनका इरादा खरेपन और साफ छवि वाली कहने का था, लेकिन मध्यप्रदेश, यूपी, बिहार में सब जानते हैं कि यह किन संदर्भों में इस्तेमाल किया जाता है।  'टंच माल' टिप्पणी  है जो कतई किसी स्त्री की कार्यकुशलता को पूरे अंक देने के लिए नहीं दी जाती । इन दलों के नेता आपसी बैठकों में लाख कह लें कि बयानबाजी बहुत सोच समझकर की जानी चाहिए लेकिन जब वरिष्ठ नेताओं की  ज़ुबां  ही सार्वजनिक मंचों पर अब फिसलती नहीं है बल्कि सोच समझकर कही जाती हैं 

त्रेता युग में माता सीता भी कहां इस अपमान से बच सकीं लेकिन आज


तक वह चरित्र हिकारत से ही देखा जाता है। सीता जो अपने तप  के बल पर रावण से मुकाबला कर पाईं, एक बयान के आधार पर अग्निपरीक्षा की भागी बनी। सियासत और सिंहासन अक्सर  स्त्री के अपमान का कारण बनता  है लेकिन समाज इसे नहीं स्वीकारता । द्वापर युग में द्रौपदी कौरवों द्वारा अपमानित हुई। भरी सभा में चीरहरण के कुत्सित प्रयास और सिंहासन पर बने रहने की लालसा को महाभारत ग्रन्थ में बहुत बेहतर व्यक्त किया  गया है। वह दृश्य हर पाठक के रोंगटे खड़े करता है फिर कौरवों के प्रति नफरत से भर देता है और यह नफरत कौरवों को अंत की ओर जाते  हुए ही देखना चाहती हैं। 

मुख्यमंत्री का यह बयान अब भी वहीं का वहीं हैं। उदासीनता और पतन का ये हाल है कि कोई भी उन्हें इस बयान पर खेद व्यक्त करने के लिए बाध्य नहीं कर पाया है । असम के कांग्रेस पदाधिकारी पुलिस के पास एफआईआर दर्ज़ कराने गए जिसे नहीं लिया गया। हैदराबाद में ज़रूर तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमिटी की शिकायत दर्ज की गई हैं। असम मख्यमंत्री के खिलाफ धारा 504 और 505के तहत मुकदमा कायम किया आया है। तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रेशखर राव ने कहा है -" पार्टी का एक सीएम तुम किस बाप के पैदा हुए ऐसा बोल सकते हैं क्या ?ये हमारा संस्कार है ? हिन्दू धर्म को बेच के उसके नाम पर वोट कमाने वाले आप लोग गंदे लोग हो। मैं भाजपा अध्यक्ष नड्डा जी से पूछ रहा हूं क्या यह हमारे संस्कार हैं ?अगर आप ईमानदार हैं ,धर्म को निभाने वाले हैं तो बर्खास्त करो असम चीफ मिनिस्टर को। क्या एक चीफ मिनिस्टर ऐसा बात कर सकता है इस देश में ?सहनशीलता की भी एक सीमा होती है। "

हाल ही मैं दक्षिण की एक फिल्म पुष्पा जबरद्दस्त हिट रही है। पुष्पा अपनी  मां का लड़ला बेटा है लेकिन दूसरा पक्ष उसे नाजायज ही पुकारता है। पुष्पा इस का बदला जिस तरह फूल की बजाय फायर बन के लेता  है उसे दर्शकों ने खूब पसंद किया। समाज के बड़े हिस्से को  मां को यूं अपमानित करना सर्वाधिक नापसंद है। जाहिर है नेता अपनी हदें भूल रहे हैं लेकिन समाज अपनी मर्यादा जनता है और उसकी निगाह में मां का दर्जा बहुत ऊंचा है। भले असम के मुख्यमंत्री को अपने बड़े नेताओं से फटकार या आलोचना न मिली हो आम इंसान इस भाषा को अपमान की श्रेणी में ही रखेगा। बेहद घृणित कि हमने कभी पूछा कि आप कौनसे पिता का बेटा हो। चुनाव आते -जाते रहेंगे लेकिन यह बयान बर्छी की तरह ही चलता है। पिछले कई बयानों का पछाड़ता हुआ जो उनके पूर्ववर्ती नेताओं ने दिए हैं। 


 

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