ऐसे ही मौकों पर पत्नी अपना पर्दा पति पर डालती है

bhanvari devi : no body reveals where is she
leela maderna :chair person apex bank
mahipal maderna : former minister rajasthan
  
पत्नी में वह कौनसा माद्दा होता है जिसके चलते  वह अपने पति के ऐसे गुनाह भी  माफ कर देती है जिसके लिए वह कभी कोई  समझौता नहीं करना चाहती। हैरानी होती है कि जिस मुद्दे पर घर टूट जाते हैं, रिश्ते तबाह हो जाते हैं, बच्चे अलग-थलग पड़ जाते हैं उसी मुद्दे पर
पत्नियां सार्वजनिक मंच पर डटकर मोर्चा लेती हुई नजर आती हैं। कई नाम
हैं बिल क्लिंटन की पत्नी हिलेरी क्लिंटन  से लेकर अमरमणि त्रिपाठी की
पत्नी मधुमणि तक सब अपराधी पति की  भक्ति करने में ही यकीन करती दिखाई देती हैं । उत्तर  प्रदेश के विधायक अमरमणि ने तो कवयित्रि मधुमिता की हत्या उस वक्त करा दी थी जब वे गर्भवती थीं। अमरमणि आज जेल में हैं।
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन  पर 1992 के चुनाव प्रचार अभियान के दौरान अभिनेत्री से  रिपोर्टर बन गईं जेनिफर फ़्लार, ने आरोप लगाया था कि उनके बारह वर्ष के बच्चे के पिता बिल हैं तब
हिलेरी ने एक इंटरव्यू में कहा- 'मैं यहां इसलिए नहीं बैठी कि एक छोटी सी
स्त्री मेरे पति के साथ खड़ी है। मैं यहां हूं क्योंकि  मैं उनसे प्यार करती हूं और
उनका सम्मान करती हूं।"  मोनिका लुइंस्की मामले पर भी उनका यही रवैया था। एक्टर शाइनी आहूजा पर उनकी नौकरानी ने बलात्कार का आरोप लगाया था। पत्नी अनुपमा आहूजा का विश्वास नहीं डिगा। इसी कथित विश्वास और भरोसे में पूर्व जल संसाधन विकास मंत्री महिपाल मदेरणा की पत्नी लीला मदेरणा का बयान बहुत चौंकाने वाला है। वे कहती हैं- 'मैं कहूंगी टीवी देखना, अखबार पढऩा बंद करो, इनके कैमरे तोड़ दो। सीडी-वीडी और रिलेशन होना कोई अपराध नहीं। यह तो राजा-महाराजा के ज़माने से चला आ रहा  है
दरअसल,उन्होंने उसी मानसिकता को भुनाने  की कोशिश की है जो स्त्री को एक बंधे बंधाए आदर्श की फ्रेम में देखना चाहता है। वे सीडी की विश्वसनीयता को लगभग स्वीकारते हुए कहती हैं कि दोष उस स्त्री का है जो इस तरह की समझौतावादी भूमिका में है। पति परमेश्वर का कृत्य उन्हें उनका हक लगता है। नैतिक शुचिता की ओर उनका कोई ध्यान नहीं है। मंत्री पद की गरिमा से भी  उनका कोई लेना-देना नहीं। उल्टे जाट बिरादरी से अपेक्षा करते हुए लीला यहां तक कह डालती हैं कि पार्टी को यह सब बहुत भारी पड़ेगा। बिरादरी के विचार और सोच को इस
कदर मोटिवेटेड कैसे मान लिया जाता है कि कोई भी  घटना विशेष उनके विचारों को नहीं झकझोरेगी। जातिगत सोच उन्हें भेड़चाल में चलने के लिए ही मजबूर करेगी, क्या इस सोच पर विराम नहीं लगना चाहिए। बहरहाल, पूर्व से पश्चिम तक दुनिया एक है। स्त्री की सोच एक है। त्रिकोण के तीसरे
कोण का विरोध करते हुए पत्नियां अपने पति का बेहतरीन डिफेंस खड़ा
करती हैं, फिर चाहे आपसी विश्वास की धज्जियां उड़ चुकी हों। इसी विश्वास में उन्हें समाज में अपना सम्मान  सुरक्षित नजर आता है। पति के गुनाह को वे गुनाह नहीं मानतीं और तो और इतने भी  सब्र का परिचय नहीं दिया जाता कि मामला न्यायालय में विचाराधीन है। कम से कम पीडि़त पक्ष को एक निष्पक्ष माहौल ही दिया जाए। बयानबाजी उसका पक्ष कमजोर करती है। पत्नी के साथ होते ही अपराधी का दुस्साहस लौट आता है। पत्नी के बयान पर सबकी निगाह रहती है। ऐसे में पत्नियां जब-तब पति का डिफेंस खड़ा कर उन्हें पर्दा  देती आई हैं। यही अवसर होता है जब स्त्री का पर्दा उठकर पुरुष को आवरण दे  देता है । वे चीख-चीख कर पूरे जोश ओ खरोश के साथ बयानबाजी करती हैं , ऐसा नहीं किया तो शायद उनके दर्जे में कमी आ जाएगी. सच भी है समाज ऐसी पत्नियों का सम्मान करता है और गलती से कोई पति अपनी पत्नी का यूं साथ दे बैठे तो वह घोर नाकारा और नपुंसक करार दे दिया जाता है.
पूरी आशंका रहती है कि वे केवल रिश्ते की महत्ता और भावनाओं के वश में आकर अपनी बात कह  रही हैं। ऐसे में उनके समर्थन या फिर विरोध दोनों ही बयानों को खारिज किया जाना चाहिए। भंवरी देवी कांड में महिपाल मदेरणा की बीवी की बातों को भी इसी प्रकाश में देखा जाना चाहिए। जोधपुर की नर्स और लोकगायिका भंवरी देवी गायब हैं। होने और न होने का कोई सबूत अब तक नहीं है। जो भी बातचीत बाहर आई है वह सत्ता  के घिनौने स्वरूप को उजागर करती है। पैसे और पावर के इस खेल के सामने आने के बाद किसी को हक नहीं पहुंचता कि वे अपने कहे से मामले की नजाकत को भंग करे। इस पूरे कांड का सच सामने आना चाहिए, बस।

टिप्पणियाँ

  1. Insightful.I completely agree.Varsha ji i think because the wives of power holders enjoy a luxurious and lavish lifestyle ,may be the reason behind this support is not the trust or love they feel for their spouses but it is the fear of loosing all that power and comfort they enjoy.

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  2. मुझे लगता है की आर्थिक सम्रधता इस बयान में एक महत्वपूर्ण भूमिका
    अदा कर रही है हिलेरी , मधुबनी ,अनुपमा और अब लीला मदेरणा सभी को वैभव पूर्ण जीवन यापन करने की आदत पड गयी है और इन सभी घटनाओ की सच्चाई के अलावा भी उनके पतियों की शर्मनाक करतूतों की जानकारी निश्चीत रूप से उनके पास होगी ही, पर धन सम्पनता और आर्थिक हितो के आगे ये घिनोने काम गौण हो जाते है, और यही यू टर्न है और वो सोचती है की पक्ष लेने मे क्या हर्ज़ है नाम किसी के साथ भी जुड़े सरनेम तो हमारे साथ है | मेरी एक राय है की कभी अगर इस तरह के आरोप सिद्ध होते है तो पत्नी जोकी बचाव मे बायांन दे उसे भी गुनाह मे भागीदार बनाना चाहिये और इनकी संपती जो पति पत्नी के नाम है कुर्क होना चाहिये |

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  3. विचारणीय पोस्ट...विचारणीय टिप्पणियां....

    आगे बस यह जोड़ना चाहूंगी कि, केवल धन वैभव या सुख सुविधा खोने का डर ही नहीं, कई बार परिवार विघटित हो जाने की स्थिति भी पत्नी को सामाजिक फ्रंट पर इस प्रकार ढाल बनने का कारण बनती हैं..कई पत्नियां पतियों के आश्वासन( भविष्य में ऐसी गलतियाँ न दुहराने की ) पर भी भरोसा कर एक बार माफ़ कर देने और पक्ष में खड़े होने को तैयार हो जातीं हैं...उन्हें लगता है घरेलु फ्रंट पर वे बाद में हिसाब कर लेंगी पति से,पर समाज में जहाँ की उनका नाम भी पति के साथ खराब हो रहा है,पहले उसे सम्हालें...

    भावनात्मक पक्ष को एकदम से नाकारा नहीं जा सकता ऐसे केसों में...

    पर जो भी हो,गलत तो है ही...इससे अपराधी के हौसले भविष्य के लिए और बुलंद होते हैं...

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  4. कम्फर्ट ज़ोन यानी वो जगह
    जहां आप की सुविधा की हर चीज़ हो
    उन चीजों को पाने के लिये आप को ज्यादा प्रयत्न भी ना करना पड़े
    उन चीजों के ना होने से आप की जिंदगी में परेशानी हो
    यानी जिनकी आदत आप को पड़ गयी और जिनका न होना आप को डराए

    कम्फोर्ट ज़ोन में जाने के बाद उस से निकलना बहुत मुश्किल होता हैं और इस लिये उस ज़ोन में रहने के लिये आप हर प्रकार का कोम्प्रोमिज़ , सही या गलत कर लेते हैं ।

    मेरा मानना हैं विवाहित स्त्रियों के लिये विवाह एक कम्फोर्ट ज़ोन की तरह होता हैं और इस में रहने के लिये वो हर सही या गलत चीज़ को मान लेती हैं और इस वजह से वो अपने ना चाहने के बाद भी बहुत सी ऐसी चीजों को करती हैं जो समाज ने उनके लिये "निर्धारित " कर दिये हैं ।

    किसी विवाहित स्त्री का पति विवाह से इतर सम्बन्ध रखता हैं , स्त्री नहीं रहना चाहती पर समाज मजबूर करता हैं कहीं बच्चो का वास्ता , कहीं सामाजिक सुरक्षा का वास्ता , कहीं घर की इज्जत का वास्ता । और सबसे जरुरी आर्थिक सुरक्षा ।

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  5. यहां हम ये भूल रहे हैं कि भंवरी का पति तमाम धमकियों के बाद भी अपनी पत्नी के लिए लड रहा है। यहां सिर्फ पत्नी की ही बात नहीं है। हां मुखर होकर पत्नी अमूनन सामने नहीं दिखती थी जितनी अब दिख रही हैं। ये इसलिए है क्योंकि आजकल टीवी मीडिया का जमाना है। पत्नी तो हमेशा ही पति के साथ खड़ी रहती है। पर हां पती भी कई बार समझौता करते हैं....पत्नी के सम्मान के लिए साथ देते हैं। पर मूल बात यह है कि सच और झूठ में किसका पक्ष लिया जाए। हर कोई अर्जुन नहीं होता और न ही हर किसी को कान्हा मिलते हैं सारथी के रुप में।

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  6. स्त्री कहते किसको हैं?

    खैरम, जो भी हो सच सामने आना ज़रूरी है।

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  7. praveenji,nikhilji, kavita, rajeevji, ranjanaji,rachnaji, bindas ji, pradeepji aap sabka abhar.suna hai cbi bhanvar ke pati ko hi apradhi karar denee ki disha mein kaam kar rahi aakhi congress ki izzat daav par hai.

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  8. Gharelu rishte kafi bhrasht samjhauton swarthon par tike hote hain. yh bhi sach hai ki aisa karne ke liye patnee lagbhag majboor hoti hai, pati aisa nahi karega

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  9. समाज से कोई नहीं बच सकता और समाज उन्ही लोंगो को सम्मान देता है जो उनकी तरह सोचते हैं, हमारे समाज में आज तक ऐसा ही हुआ है की शादी हो जाने के बाद लड़की का जीवन बिलकुल बदल जाता है कल को शादी से पहले वह अपने जीवन में सबसे ज्यादा महत्व बाप को देती थी आज वो शादी के बाद पति को देती है, अपने घर की सारी बातें वो पति को बता देती है लेकिन पति की सारी बातें पिता को नहीं बताती.एक सपना होता है उसका बचपन से जो शादी के बाद पूरा हो जाये तो ठीक न भी हो तो उससे समझौता कर लेती है, मुझे नहीं लगता की कोई लड़की शादी के बाद अपने लिए कोई ख्वाईस रखती हो. और रही पति का साथ देने की बात तो एक बात बताईये जिस नाव में आप बैठ कर अपने जीवन का सफर तय कर रहे हैं अगर नाव डूबने लगे तो उसे क्यों नहीं बचायेंगे, अगर उस नाव की गलती है तो उस नाव पे बच्चे भी हैं आप नाव को डूबने देकर बच्चों का जीवन कैसे बर्बाद कर सकते हैं. कई बार सच से बढ़कर भी कुछ मजबूरियां होती हैं....आशीष प्रखर

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