जाना

 जाना
कितना मुश्किल है
किसी रूह का
रूह के भीतर जाना
हमारे बीच कैसे
हँसते-खेलते
हो गया सब
पाक जज़्बे-सा 
यह गठजोड़ .... 


मेरा शीश अब
वहीँ झुका जाता है
मेरा शिवाला वही
मेरा काबा वहीँ
फिर भी  मैं 
हूँ काफ़िर  तो
वही सही .

टिप्पणियाँ

  1. फिर भी मैं
    हूँ काफ़िर तो
    वही सही .

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  2. हृदयस्पर्शी! हम वही रहते हैं जो हैं, लोग चाहे कैसी भी छवि बनायें!
    दुनिया खोने का डर नहीं मुझे
    मेरी फ़िक्र खुद के खोने की है।

    जवाब देंहटाएं
  3. फिर भी मैं
    हूँ काफ़िर तो
    वही सही .

    जवाब देंहटाएं
  4. वाह...पवित्र पावन भावोद्गार...

    जवाब देंहटाएं
  5. praveenji, kishoreji, anuragji,vaaniji,
    aradhna, kavita
    and ranganaji bahut-bahut shukriya.

    जवाब देंहटाएं

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