पति को माता-पिता से अलग करना पत्नी की क्रूरता और पति के सम्बन्ध क्रूरता नहीं
लगभग एक महीने पहले सुप्रीम कोर्ट का एक फैसला आया था कि पति को माता-पिता से अलग करना पत्नी की क्रूरता है और हाल ही एक निर्णय आया है कि पति का विवाहेत्तर संबंध हमेशा क्रूरता नहीं होता, लेकिन यह तलाक का आधार हो सकता है। क्या ये दोनों ही फैसले स्त्रियों के सन्दर्भ में जड़वत बने रहने की पैरवी नहीं है?
लगभग एक महीने पहले सुप्रीम कोर्ट का एक फैसला आया था कि पति को उसके माता-पिता से अलग करना पत्नी की क्रूरता है। दो न्यायाधीशों की खंडपीठ ने अपने फैसेले में जो कहा वह इस प्रकार है-सामान्य परिस्थितियों में उम्मीद की जाती है कि पत्नी शादी के बाद पति का घर-परिवार संभालेगी। कोई नहीं सोचता कि वह पति को अपने माता-पिता से अलग करने की कोशिश करेगी। यदि वह पति को उनसे दूर करने की कोशिश करती है तो जरूर इसकी कोई गंभीर वजह होनी चाहिए लेकिन इस मामले में ऐसी कोई खास वजह नहीं है कि पत्नी पति को उसके माता-पिता से अलग करे सिवाय इसके कि पत्नी को खर्च की चिंता है। आमतौर पर कोई पति इस तरह की बातों को बर्दाश्त नहीं करेगा। जिस माता-पिता ने उसे पढ़ा-लिखा कर बड़ा किया है उनके प्रति भी उसके कर्त्तव्य हैं।
सामाजिक रीति-रिवाजों के हिसाब से यह फैसला ठीक मालूम होता है लेकिन नजीर के हिसाब से इसकी समीक्षा जरूरी है।एक पल के लिए यह खयाल भी आता है कि जब लड़के की तरह पढ़ी-लिखी लड़की अपने माता-पिता का घर छोड़ती है, वह किस किस्म क्रूरता होती है। संतान तो दोनों ही अपने माता-पिता की ही होती हैं फिर क्यों लड़की का सबकुछ छोडऩा इतना सामान्य है। रवायत के नाम पर कितनी बड़ी क्रूरता हमारा समाज लड़कियों से कराता आया है और वे इसे खुशी-खुशी करती भी आई हैं। नरेंद्र बनाम के.मीना के इस मामले में ऐसा मालूम होता है जैसे घर के बड़े-बुजुर्गों ने कोई फरमान सुनाया हो।
एक और फैसला हाल ही का है जब पति महोदय इस आधार पर तलाक चाहते थे कि गर्भावस्था में संबंध से इन्कार करना पत्नी की कू्र रता है। दरअसल, एक अन्य मामले में पति ने पत्नी के ना कहने को क्रूरता बताते हुए तलाक मांगा था और उसे तलाक मिल भी गया था। इनसे अलग दिल्ली हाईकोर्ट ने एक फैसले में पति की तलाक संबंधी याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि यदि पत्नी सुबह देर से सोकर उठती है और बिस्तर पर चाय की फरमाइश करती है तो वह आलसी के दायरे में भले ही आती हो, लेकिन आलसी होना निर्दई या क्रूर होना नहीं है।
विवाहेत्तर संबंध के आधार पर एक व्यक्ति को उसकी पत्नी के प्रति क्रूरता का दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला एक मामले में सुनाया और आरोपी पति को बरी कर दिया। एक व्यक्ति की पत्नी ने उसके कथित विवाहेत्तर संबंधों के कारण आत्महत्या कर ली थी। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, विवाहेत्तर संबंध अवैध या अनैतिक तो हो सकता है लेकिन इसे पत्नी के प्रति क्रूरता के लिए पति को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। क्योंकि इसे आपराधिक मामला करार देने के लिए कुछ और परिस्थितियां भी जरूरी होती हैं।क्या हम आप सब ऐसे मामलों के गवाह नहीं हैं जब दूसरी महिला की मौजूदगी पत्नी को ऐसे अवसाद में ले जाती है जहाँ वह आत्महत्या भी कर गुज़रती है। यह क्रूरता कैसे नहीं हो सकती?
शैली बताती हैं कि मेरी सास मुझे हर बार गर्भावस्था में कम खाने को देती थीं। हम बड़ों की बातों पर यकीन भी करते हैं क्योंकि इन मामलों में उन्हीं का अनुभव काम आता है लेकिन मेरे तीन बार अबॉर्शन हुए क्योंकि मैं ऐनिमिक थी। दरअसल ऐसी अनेक छोटी-बड़ी अनबन परिवार के बीच वैमनस्य को बढ़ाती हैं और तलाक ऐसी ही वजहों की तलाश में रहता है। वह तो फै सलों को चाहिए कि वे ऐसी परंपराएं न स्थापित कर दें जो एकतरफा मालूम होती हों।
लीगल स्कॉलर फ्लाविया एग्नस अपने एक स्तंभ में लिखती हैं कि ऐसे फैसले इसलिए भी आते हैं क्योंकि हिंदू विवाह अधिनियम में कन्यादान की अवधारणा है, लड़की को पराया धन माना जाता है। यही बात न्याय व्यवस्था को भी परिचालित करती है। ऐसा फैसला ईसाई या पारसी शादियों में कभी नहीं दिया जा सकता कि बहू के अलग रहने की मांग को क्रूरता की संज्ञा दी जाए। लड़कियों को शादी के बाद परेशानी होने पर भी परिवार वापस ससुराल भेजने में ही भलाई समझते हैं।
यूं तो यह पति-पत्नी की ही सहमती होती है कि वे माता पिता के पास रहना चाहते हैं या नहीं। ऐसे में दबाव काम नहीं कर सकता। कई भारतीय परिवार बरसों-बरस इस चक्रव्यूह में उलझे तो रहते हैं लेकिन कोई हल नहीं निकाल पाते। पति-पत्नी के बीच यह तनाव किसी बरछी की तरह साथ चलता है। वे जब-तब इसे एक दूसरे को चुभाते रहते हैं। शादी दो आत्माओं का संबंध है तलाक इसमें जाने कौन-कौन सी प्रेतात्माओं को शामिल करा
देता है।
ati sundar lekh hai mei aapke vichaaro se puri tarah sehmat hun .
जवाब देंहटाएंMOUTH WATERING RECIPES OF INDIA
shukriya pawanji ,aapka page bhi moonh mein pani la denewala hai
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