एक लड़की की डायरी से


एकता चौहान की कविताएं

ये कविताएँ सीधे तेईस साल की एकता चौहान की डायरी से आयी हैं , जब उन्होंने पढ़ाईं तो लगा ताज़ा हवा का झोंका छूकर गुज़र गया. हालाँकि मेरी कविताओं की समझ बहुत सीमित है. हो सके तो आप बेहतर कीजियेगा.बतौर विसुअल डेली न्यूज़ की मगज़ीन खुशबू साथ है.

मेरा पता

शहर के बीचों-बीच
वो जो चार लेन की रोड है

दाएं-बाएं बंगले जिसके
और बड़े-बड़े मॉल हैं

वहीं आगे मोड़ पे
एक लंबा काला नाला है

घास वहां कचरे में पलती
कीचड़ से सनी जमीन है

और जो छठा तम्बू , किनारे
वही मेरा घर है!


2.
संदूक संभालें आओ जरा...
गुड़िया,मोती,चवन्नी

कहीं फिर से
कट्टा ना हो जाएं!

3.
सुबह-सुबह जब उठता हूं
वो पहले से आ जाती है

मैं उन्हें देख मुस्काता हूं
वो मुझे देख मुस्काती हैं

दाना डालो, भूख लगी है
अपनी बोली में बतलाती हैं

जाता हूं मैं, ये कह दूं तो
हामी में सिर वो हिलाती हैं

4.
डूबता है पर्वत के
डूबता वो नीर में
मन के भीतर डूबता
वो डूबता शरीर में
उलझा-सुलझा पहेली-सा
शंकाओं से घिरा हुआ वो
हर अक्षर में डूबता
ढूंढता खुद को
स्याही की लकीर में

5
चौक में
प्रतिदिन
तुलसी सींची जाती है
प्रतिदिन
भोगली से
फूंक-फूंक के
आंखें भी...

हाण्डियों पे
प्रतिदिन
घिसती है बानी
प्रतिदिन
हाथों में
बढ़ती लाख भी...

6.
कुछ माटी में रम जाती
कुछ पत्तों पे थम जाती

गिरती कुछ छज्जे से
कुछ मुण्डेर से लुढ़क जाती

तन को गीला करती
और कुछ
मन को भिगा जाती
बूंदें...

टिप्पणियाँ

  1. ये कवितायें तो सीधे दिल में उतरती हैं. बहुत खूबसूरत शब्दों का उपयोग करते हुए जिनके मायने बहुत हैं.

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  2. अच्छी कवितायें हैं वर्षा जी
    सबसे ज़्यादा जो चीज़ प्रभावित करती है वह है इनकी स्वाभाविकता और मासूमियत के साथ व्यक्त गहरी समझदारी
    मेरी ओर से ढेरों बधाईयां और शुभकामनायें

    जवाब देंहटाएं
  3. पहली ही कविता शाईनिंग इण्डिया के नाम पर करार तमाचा है..

    बाकी सब भी उम्दा.. दूसरी मुझे ज्यादा पसंद आयी.. कम शब्दों में गहरी बात...

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुन्दर कविताएँ. सभी बेहतरीन. शब्दों का सटीक चयन

    जवाब देंहटाएं
  5. कविताओं में मन का शोर सुनाई देता है. आत्मीयता और सरलता इन कविताओं की सुन्दरता को बढ़ाती हैं. ह्रदय के स्पंदन को कहीं पर प्रभावित करती हुई सी हैं. डेली न्यूज मैगजीन में आने से एकता को जरूर ख़ुशी हुई होगी पर ब्लॉग से फीड बेक का मिलाना ज्यादा सार्थक है. आपका आभार इन कविताओं को हम तक पहुँचाने के लिए.

    जवाब देंहटाएं
  6. सुन्दर कवितायें हैं । दूसरी, चौथी कविता ने खासा प्रभावित किया । सहजता और स्वाभाविक अभिव्यक्ति इनकी विशेषता है ।

    जवाब देंहटाएं
  7. सारी कविताएं अच्छी लगीं..पर यह वाली कुछ खास ही रही

    चौक में
    प्रतिदिन
    तुलसी सींची जाती है
    प्रतिदिन
    भोगली से
    फूंक-फूंक के
    आंखें भी...

    और जैसा कि अशोक जी ने कह दिया कि कविता मे अनुभूति की स्वाभाविकता सहज नजर आती है..और आसपास के माहौल को समझने की आतुरता नजर आती है
    आपको शुक्रिया..और एकता जी के कृतित्व के चमकदार भविष्य के लिये शुभकामनाएं...

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  8. अखबार का सबसे पसंदीदा अंक जिसका हर बुधवार बेसब्री से इन्तजार करती हूँ ...कवितायेँ पढ़ ली ...यहा पढ़कर और भी अच्छा लगा ....
    घर का पता बताती और हाथों में लाख चढ़ती कविता लुभाती है ...!!

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  9. पहली कविता सबसे सुन्दर है।

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  10. कविताएं पसंद आई.
    जाने कितने शब्दकार हैं जिन पर रौशनी नहीं पड़ती. एकता की कविताएं जयपुर तक ही सिमटी रही, आपने इसे वेब के माध्यम से व्यापक केनवास दे दिया. शिल्प और कथ्य से भी अधिक कविताएं मुझे सहज संवाद लगी और यही इनकी खूबी भी है. एकता को बधाई. आपका आभार !

    जवाब देंहटाएं
  11. मन को छू लेनेवाली....
    दिल में उतर जाने वाली ...
    बहुत सुंदर कविता...
    सच के करीब....
    ब्लॉग की दुनिया के सबसे ज्यादा घिसे-पिटे शब्द हैं..
    सच तो ये है कि
    इन कविताओं में अभी बहुत कच्चापन है...
    लिहाजा इस नयी कवियित्री का उत्साह बढाने के लिए इतना जरूर
    कहूँगा कि लगातार लिखते रहिये...
    दिल में उतर जाना और मन को छू लेना इतना आसान नहीं है..
    बहुत तपस्या करनी पड़ेगी शब्दों की .....
    शुभकामनायें..
    regards

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  12. आदरणीया वर्षा जी
    सादर प्रणाम!

    इनकी लिखी रचनाएं अच्छी है
    बस एक छोटी सी बात नहीं जमी
    इन्होंने लिखा है
    हर मोड़ हर खिड़की से झांकते दिखेंगे सवाल
    ए दोस्त! क्यों जवाबों में जिन्दगी जाया करें
    मैं बेवजह नकारात्मक सोच वाला व्यक्ति तो नहीं हूं, लेकिन जिन्दगी के सवालों को इस तरह छोड़ दिया जाना कहां उचित है।
    एक उदाहरण दूंगा
    जैसे स्वामी विवेकानंदजी ने कहा है कि शराब हर सवाल का जवाब नहीं
    वहीं विजय माल्याजी कहते हैं कि यह जवाब तो नहीं देती पर सवाल भुलाने में मदद करती है।
    मिर्जा गालिब साहब ने भी क्या खूब कहा है
    गमे हस्ती का किससे हो जुज मर्ग इलाज
    शमां हर हाल में जलती है सहर होने तक।।
    सवालों को छोड़कर हम जाएंगे कहां। जहां जाएंगे वहां हम सवाल पाएंगे। जब तक मानव देह है तब तक सवाल हमारे साथ रहेंगे, लेकिन शतुमुर्ग की तरह सिर जमीन में नहीं डाला जा सकता।
    नई तरह की कविताओं के लिए इनको बधाई

    - घोर अंधियारे से अपने आप को बचाने की जुगत में

    एक प्रदीप

    जवाब देंहटाएं
  13. varsha! thank god, you know and confess your ignorence about poetry, it is fully proved in this series of poetry also. anyway, good effort to introduce new talents but selection requires more study and sense of poetry.
    sindhu chaturvedi, bhopal

    जवाब देंहटाएं
  14. "प्रश्नों को ऐसे प्यार करो जैसे कि वे बन्द कमरे में बन्द हो या विदेशी लिपि में लिखी गयी पुस्तकें। उत्तर मत ढूँढों, क्यों कि वह तुम्हें फिलहाल मिल ही नहीं सकते, अभी तुम उन्हें झेल ही नहीं सकते। असली सवाल तो हर अनुभव को जीने का है। अभी तुम प्रश्नों को जियो तब शायद आगे कभी भविष्य में, तुम्हारा जीवन धीरे-धीरे अचेत ही उन उत्तरों के बीच रचने- बसने लगेगा। रचने और निर्माण करने की संभावनाएँ तुम्हारे भीतर हैं, जो कि एक शुभ और सात्विक रास्ता है। "

    -राइनेर मारिया रिल्‍के जर्मन कवि
    रिल्के के पत्र युवा कवि के नाम पुस्‍तक से एकता चाहे तो इसे पढे बल्कि पढे ही ताकि उनकी रचनाओं का कच्‍चापन हमेशा बना रहे, आमीन

    जवाब देंहटाएं
  15. bahut khoob amit ..kachchapan bana rahe aameen. kya zaroori hai ki ham sab aisi hi bhasha mein kavita kare jiska kathya shilp behad clisht ho?

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  16. अपने कच्चेपन के साथ बहुत अच्छी कविताएँ.
    सच के करीब ले जाती कविताएँ
    कविताओं के लिये एकता को बधाई और पढवाने के लिये आपका आभार।

    जवाब देंहटाएं

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