वैवाहिक दुष्कर्म : कब होगा ना का मतलब ना ?

शादी वैवाहिक दुष्कर्म का लाइसेंस नहीं है ,सहमति सबसे ज़रूरी है मैरिटल रेप या वैवाहिक बलात्कार की अवधारणा ही भारतीय समाज को अनुचित लगती है।समाज इस बात को गले ही नहीं उतार पाता कि आख़िर पति की मर्ज़ी को कोई पत्नी अस्वीकार भी कर सकती है। जहां पत्नी की इच्छा के लिए स्वीकार्यता ही ना हो वहां इसे अपराध कैसे माना जा सकता है। बहरहाल ऐसा जरूर है कि अगर कोई पति, पत्नी की इच्छा को समझता है तो उसे नेक और गुणी समझा जाता है लेकिन जो ऐसा नहीं भी है तो यह कोई मुद्दा नहीं है। सब चलता है। आखिर शादी की ही किस लिए है,बीवी लाए ही क्यों हैं । ऐसी सोच के दायरे में भारत में अब भी मेरिटल रेप अपराध नहीं माना जाता है। कानून पतियों को इससे मुक्त रखता है जबकि दुनिया के 150 देश इसे अपराध मानते हुए कानून बना चुके हैं। इसके बावजूद बीते कुछ सालों में जब भी, जिस भी रूप में यह मसला भारतीय न्यायालय के सामने आया, संवेदनशीलता बरती गई। खासकर दिल्ली और कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसलों ने नई बहस छेड़ी और जब उन्हें सु प्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई तब सुप्रीम कोर्ट ने क...